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Mp news:रीवा में ‘फ्री फायर’, राजगढ़ में पोर्न… पढ़ाई छोड़ गलत राह पर बच्चे, सिस्टम पर उठे सवाल

Mp news : स्मार्ट क्लास का काला सच: रीवा में ‘फ्री फायर’, राजगढ़ में पोर्न… पढ़ाई छोड़ गलत राह पर बच्चे, सिस्टम पर उठे सवाल रीवा/राजगढ़। Mp news : डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा ...

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Mp news : स्मार्ट क्लास का काला सच: रीवा में ‘फ्री फायर’, राजगढ़ में पोर्न… पढ़ाई छोड़ गलत राह पर बच्चे, सिस्टम पर उठे सवाल

रीवा/राजगढ़।

Mp news : डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने स्कूलों में स्मार्ट टीवी, डिजिटल बोर्ड और स्मार्ट क्लास की व्यवस्था की, ताकि बच्चों को तकनीक से जोड़कर पढ़ाई को आधुनिक बनाया जा सके। लेकिन हाल ही में सामने आई दो घटनाएं इस व्यवस्था के गलत इस्तेमाल की पोल खोल रही हैं।

पहला मामला रीवा जिले के चाकघाट के चंद्रपुर शासकीय हाई स्कूल का है, जहां कक्षा के समय एक छात्र स्मार्ट टीवी पर पढ़ाई की जगह ‘फ्री फायर’ ऑनलाइन गेम खेलता नजर आया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो में छात्र क्लास के दौरान टीवी पर गेम खेलने में मग्न है और वहां किसी शिक्षक की मौजूदगी या निगरानी का संकेत नहीं मिलता।

दूसरा और इससे भी गंभीर मामला राजगढ़ जिले का है। यहां एक सरकारी स्कूल में स्मार्ट टीवी पर बच्चों द्वारा पोर्न देखने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि कक्षा में टीवी चालू था, लेकिन पढ़ाई की जगह छात्र अश्लील कंटेंट देख रहे थे। यह घटना न केवल शिक्षा व्यवस्था पर, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और नैतिक मूल्यों पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं से साफ है कि महंगी तकनीक उपलब्ध कराने के साथ-साथ इसके सही इस्तेमाल के लिए सख्त गाइडलाइन, नियमित मॉनिटरिंग और शिक्षकों की जवाबदेही तय करना जरूरी है। तकनीक का उद्देश्य तभी पूरा होगा, जब उसका सही दिशा में उपयोग हो और छात्र-शिक्षक दोनों को इसके लिए प्रशिक्षित किया जाए।

जिला शिक्षा अधिकारी रामराज मिश्रा ने रीवा मामले में कहा कि वीडियो संज्ञान में आया है, जांच के आदेश दिए गए हैं और सभी स्कूलों को निर्देशित किया जाएगा कि स्मार्ट टीवी का सही लाभ लिया जाए। वहीं राजगढ़ मामले में स्थानीय प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है।

Mp news : ये घटनाएं स्पष्ट करती हैं कि तकनीक शिक्षा का सशक्त माध्यम है, लेकिन निगरानी के बिना यह बच्चों को गलत दिशा में भी ले जा सकती है। जरूरत है कि डिजिटल संसाधनों के साथ-साथ स्कूलों में नैतिक शिक्षा और अनुशासन पर भी समान रूप से जोर दिया जाए, ताकि भविष्य की पीढ़ी इनका सही इस्तेमाल कर सके।