SIDHI NEWS.टोकन के बावजूद किसानों को नहीं मिल रही खाद किसानों की समस्या पर की गई सार्थक पहल
यूरिया-खाद को लेकर पूरे जिले में किसानों का भटकाव बना हुआ है। गोदामों में सुबह से ही किसानों की कतारें लगने लगती हैं।
फिर भी अधिकांश किसानों को खाद न मिलने से वह मायूश होकर घर लौटने को मजबूर हैं। कुछ इसी तरह की समस्या मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित अमिलिया के गोदाम में भी बनी हुई है। किसानों को खाद न मिलने की शिकायत पर पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल अमिलिया गोदाम पहुंचे, उनसे किसानों द्वारा खाद न मिलने की शिकायतें करते हुए कहा गया कि वह कई दिनों से गोदाम का चक्कर काट रहे हैं। हालात यह है कि टोकन मिलने के बावजूद अमिलिया गोदाम से खाद नहीं मिल रही है। श्री पटेल ने
किसानों की समस्या को काफी गंभीरता से लिया। उनके द्वारा मौके पर से ही सिहावल एसडीएम प्रिया पाठक को कॉल कर किसानों की समस्या बताई गई। एसडीएम ने तुरंत खाद वितरण व्यवस्था सुधारने के निर्देश दिए। साथ ही टोकन धारक किसानों को प्राथमिकता से खाद वितरित करने को कहा। किसानों का कहना है कि समय पर खाद न मिलने से फसल को नुकसान हो सकता है। पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल ने जिस तत्परता के साथ हस्तक्षेप किया है उससे किसानों को राहत की उम्मीद जगी है। उधर खाद के लिए
परेशान किसान संजय त्रिपाठी ने बताया कि तीन दिन पहले टोकन मिलने के बाद भी उन्हें खाद नहीं मिली। उनके जैसे सैकड़ों
किसान रोजाना अमिलिया गोदाम आ रहे हैं। फसल की नाजुक स्थिति में खाद की कमी किसानों के लिए चिंता का विषय बन गई है। बताते चलें कि मप्र राज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित अमिलिया में खाद न मिलने को लेकर किसानों का आक्रोश कई बार फूट चुका है। इससे पूर्व उनके द्वारा खाद न मिलने पर काफी हंगामा भी किया गया था। जिसके बाद पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा। पुलिस द्वारा कड़ी मशक्कत के बाद आक्रोशित किसानों को समझाइस दी गई। साथ ही खाद वितरण को लेकर भी मौके पर
पहुंचकर पारदर्शिता सुनिश्चित कराई गई। फिर भी खाद वितरण को लेकर किसानों की परेशानियां कम नहीं हुई। जिसके बाद उनके द्वारा अमिलिया बाजार में आकर चक्काजाम का भी प्रयास किया गया। इस दौरान सिहावल तहसीलदार के वाहन को भी किसानों द्वारा घंटे भर तक रोंककर रखा गया।
अधिकारियों के आश्वासन के बाद भी यूरिया का भटकाव
सीधी जिले में यूरिया-खाद को लेकर किसानों का भटकाव करीब एक महीने से बना हुआ है। किसानों की भीड़ इतना ज्यादा गोदाम में उमड़ रही है कि व्यवस्था बनाने के लिए विभागीय अधिकारियों को पसीने छूट रहे हैं। कृषि विभाग के उप संचालक समेत अन्य अधिकारियों द्वारा किसानों को यही आश्वासन दिया जा रहा है कि जल्द ही यूरिया को लेकर बना भटकाव खत्म होगा। फिर भी यूरिया खाद की मांग वर्तमान में इतनी ज्यादा है कि सीधी जिले को जो आवंटन मिल रहा है उससे किसानों का भटकाव खत्म नहीं हो रहा है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यूरिया की मांग सबसे ज्यादा किसान कर रहे हैं। जबकि इसके विकल्प के रूप में नैनो
यूरिया समेत जैविक खाद का पर्याप्त स्टाक मौजूद है। लेकिन किसान केवल यूरिया की मांग कर रहे हैं। यूरिया की एक साथ काफी ज्यादा मांग होने के कारण समस्या बनी हुई है। यह अवश्य है कि सीधी जिले को प्रति दिन स्टॉक मिल रहा है जो भी स्टॉक मिलता है उसका वितरण सभी गोदामों में कराया जाता है। जिससे किसानों को यूरिया का वितरण होता रहे। समस्या इसलिए भी ज्यादा बनी
हुई है कि अधिकांश किसान 5-6 बोरी यूरिया की मांग करते है जबकि स्टॉक की कमी के चलते अधिकांश जगहों में केवल एक बोरी यूरिया किसानों को वितरित की जा रही है। इस वजह से भी किसानों में आक्रोश बना हुआ है।