स्मार्ट मीटर: सहमति के बिना थोपना अन्याय – उमेश तिवारी
स्मार्ट मीटर: सहमति के बिना थोपना अन्याय – उमेश तिवारी सीधी। बिजली उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर थोपने की सरकारी कवायद पर टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने तीखा हमला बोला है। ...
स्मार्ट मीटर: सहमति के बिना थोपना अन्याय – उमेश तिवारी
सीधी। बिजली उपभोक्ताओं पर स्मार्ट मीटर थोपने की सरकारी कवायद पर टोंको-रोंको-ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने तीखा हमला बोला है। उन्होंने साफ कहा – “विद्युत अधिनियम 2003 उपभोक्ता को प्रीपेड या पोस्टपेड चुनने की आज़ादी देता है। सहमति लिए बिना स्मार्ट मीटर लगाना गैरकानूनी और सीधा-सीधा उपभोक्ता के अधिकारों का हनन है।”
स्मार्ट मीटर: किसानों और गरीबों के लिए संकट
तिवारी ने चेतावनी दी कि स्मार्ट मीटर किसी वरदान से कम और ग्रामीण उपभोक्ताओं व किसानों के लिए अभिशाप साबित होंगे। इन मीटरों से बिजली तभी मिलेगी जब उपभोक्ता पहले से पैसे डालेगा। किसान अगर बीज बोने के वक्त अग्रिम पैसा न भर पाए तो खेत अंधेरे में रह जाएंगे। यही नहीं, डायनेमिक फेयर प्राइसिंग नामक चालाक व्यवस्था से मांग बढ़ते ही यूनिट रेट भी बढ़ेगा, यानी जितनी ज्यादा ज़रूरत उतना महंगा बिल!
लाखों डिजिटल मीटर कबाड़ में
उमेश तिवारी ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा – “मौजूदा डिजिटल मीटर बिल्कुल सटीक हैं, फिर करोड़ों रुपए लगाकर इन्हें कबाड़ में क्यों डाला जा रहा है? और क्यों हर 5–6 साल बाद मोबाइल सेट की तरह बदले जाने वाले स्मार्ट मीटरों का बोझ उपभोक्ता पर ही थोपा जा रहा है?” बताया जा रहा है कि इस महाघोटालेनुमा योजना का ठेका अदानी समूह को मिला है।
बिजली कर्मचारियों पर गिरेगी गाज
तिवारी ने बिजली कर्मचारियों को भी आगाह किया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद सबसे पहले उन्हीं की नौकरियां जाएंगी। मीटर रीडिंग, कनेक्शन जोड़ना-बंद करना सब कुछ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कर लेगा। लाखों कर्मचारी एक झटके में सड़क पर आ जाएंगे और नए रोजगार का कोई रास्ता भी नहीं बचेगा।
जनांदोलन की जरूरत
गुना, भोपाल, ग्वालियर, सीहोर, अशोकनगर और विदिशा जैसे जिलों में विरोध की चिंगारी पहले ही भड़क चुकी है। तिवारी का कहना है कि अब इसे जनांदोलन का रूप देना होगा ताकि उपभोक्ताओं को उनकी सहमति के बिना लादी जा रही इस योजना से बचाया जा सके।