क्या प्रसिद्धि ही राजनीति का टिकट है? मैथिली ठाकुर को अलीनगर से भाजपा का टिकट — उठ रहे कई सवाल
अलीनगर विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी ने प्रसिद्ध लोकगायिका मैथिली ठाकुर को उम्मीदवार घोषित कर दिया है। सोशल मीडिया पर इस खबर ने हलचल मचा दी है। मैथिली ठाकुर, जो अपनी मधुर आवाज़ और भारतीय लोकसंगीत के प्रचार के लिए जानी जाती हैं, अब सीधे राजनीति के मैदान में उतर रही हैं। लेकिन सवाल यह है — क्या सिर्फ लोकप्रियता और प्रसिद्धि राजनीति में सफलता की गारंटी बन सकती है?
जानकारी के अनुसार, मैथिली ठाकुर ने कुछ ही दिन पहले भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी और दो दिन के भीतर ही उन्हें अलीनगर से टिकट दे दिया गया। यह फैसला भाजपा के नए प्रयोगों में से एक माना जा रहा है, जहां पार्टी नई और प्रभावशाली हस्तियों को जनता के बीच उतार रही है। हालांकि, इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में बहस और आलोचना दोनों को जन्म दिया है।
कई राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि राजनीति केवल प्रसिद्धि से नहीं, बल्कि जनता के मुद्दों को समझने, क्षेत्रीय परिस्थितियों से जुड़ने और संगठनात्मक अनुभव से चलती है। मैथिली ठाकुर का राजनीतिक अनुभव सीमित है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे अपने क्षेत्र के सामाजिक और विकासात्मक मुद्दों को उसी तरह साध पाएंगी, जैसे वे सुरों को साधती हैं।

वहीं, कुछ लोग इसे भाजपा की दूरदर्शी रणनीति भी बता रहे हैं — जहां पार्टी युवाओं और लोकप्रिय चेहरों के माध्यम से नए मतदाताओं तक पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है। भाजपा के समर्थकों का कहना है कि मैथिली ठाकुर जैसी संस्कारवान और लोकप्रिय शख्सियत का राजनीति में आना एक सकारात्मक बदलाव हो सकता है।
अब देखना यह होगा कि क्या जनता मैथिली ठाकुर के गीतों की तरह उनकी राजनीतिक धुन को भी स्वीकार करेगी या यह प्रयोग सिर्फ एक सीमित राजनीतिक प्रयोग बनकर रह जाएगा।
सवाल वही है — क्या राजनीति में लोकप्रियता अनुभव से ज्यादा अहम हो सकती है? इसका जवाब आने वाला चुनाव ही देगा।







