आदिवासियों की जमीन बचाने संसद में गूँजी गर्जना, सांसद डॉ. राजेश मिश्रा बने संघर्ष की नई ढाल


सीधी। विंध्य की आवाज कुबेर तोमर
मझौली तहसील के ग्राम मूसामुड़ी और भुमका के आदिवासी किसान अपनी पुश्तैनी जमीन बचाने की लड़ाई में एक बड़े मोड़ पर पहुंच गए हैं। वर्षों से अपनी मां समान धरती को बचाने की जिद और जुनून अब दिल्ली की संसद तक पहुंच चुका है—और यह आवाज बुलंद की है सीधी–सिंगरौली लोकसभा के सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने।
देश की सबसे बड़ी पंचायत, लोकसभा, में सांसद डॉ. मिश्रा ने आदिवासी किसानों के जमीन अधिकारों पर हुए कथित अत्याचारों को उठाते हुए कहा कि
“आर्यन पावर कंपनी द्वारा किया गया भूमि अधिग्रहण गलत, मनमाना और रद्द करने योग्य है। आदिवासियों की जमीन उन्हें वापस की जाए।”
उनकी यह मांग पूरे सदन में गूंज उठी और आदिवासी किसानों के संघर्ष को नई ताकत मिल गई।

🌳 2009 से चल रहा संघर्ष — टोंको–रोंको–ठोंको मोर्चा लगातार लड़ रहा लड़ाई
आर्यन पावर कंपनी द्वारा किए गए कथित फर्जी भूमि अधिग्रहण के खिलाफ
टोंको–रोंको–ठोंको क्रांतिकारी मोर्चा पिछले 16 वर्षों से मैदान में डटा हुआ है।
मोर्चा का आरोप है कि कंपनी ने गलत दस्तावेज़ों, दबाव और धोखाधड़ी के जरिए आदिवासी किसानों की उपजाऊ जमीन पर कब्जा जमाने की कोशिश की।
यह वही धरती है जिसे किसान सुजलां–सुफलाम, शस्यश्यामलाम कहकर पूजते हैं।
यही जमीन उनके जीवन का आधार, उनकी पहचान और उनकी पीढ़ियों की विरासत है।
🛑 संघर्ष को मिला राजनीतिक सहारा
इस लड़ाई में पहले भी कई नेताओं ने साथ दिया है।
मध्य प्रदेश सरकार के कद्दावर नेता स्व. जगन्नाथ सिंह ने तो किसानों को लेकर स्वयं मुख्यमंत्री तक गए थे।
अब इस संघर्ष में सबसे मजबूत आवाज बने हैं सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, जिन्होंने संसद में स्पष्ट कहा—
“आदिवासियों से लूटी गई जमीन किसी कीमत पर नहीं रहने दी जाएगी।”
💥 आदिवासी समुदाय में उत्साह, मोर्चा ने जताया आभार
मोर्चा के संयोजक उमेश तिवारी ने सांसद मिश्रा के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा—
“यह सिर्फ समर्थन नहीं, बल्कि आदिवासी अस्तित्व की रक्षा का संकल्प है। सांसद मिश्रा ने हमारी लड़ाई को राष्ट्रीय मंच पर पहुंचा दिया है।”
संघर्ष जारी है… अदालतें सुनें या सरकारें—आदिवासियों की जमीन, आदिवासियों की ही रहेगी। संसद में उठी यह आवाज अब पूरे प्रदेश की आवाज बन चुकी है।






