रीवा में स्वदेशी उत्सव की गूंज: पद्मधर पार्क में “local for vocal” का रंग, गोबर उत्पाद बने दीपावली की शान
रीवा। दीपावली की रौनक इस बार रीवा के पद्मधर पार्क में स्वदेशी अंदाज़ में देखने को मिली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “local for vocal” अभियान को यहां के नागरिकों ने दिल से अपनाया है। पार्क में लगे स्वदेशी बाजार में ग्राहकों और दुकानदारों की उत्साहभरी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि आत्मनिर्भर भारत का संदेश अब हर घर तक पहुंच चुका है।
गोबर से बने उत्पाद बने आकर्षण का केंद्र
पद्मधर पार्क के इस स्वदेशी बाजार में इस बार सबसे ज्यादा चर्चा गोबर से बने उत्पादों की रही। पर्यावरण के अनुकूल इन उत्पादों में दीए, धूपबत्तियां, मूर्तियाँ, हवन सामग्री और पूजा के अन्य सामान शामिल थे।
ग्राहकों ने इन वस्तुओं को न केवल उत्साह से खरीदा, बल्कि इन्हें आधुनिक समय की सबसे उपयोगी और प्राकृतिक भेंट बताया। एक दुकानदार ने बताया, “हमने गाय के गोबर से यह उत्पाद तैयार किए हैं। यह न केवल सस्ते हैं बल्कि इनके इस्तेमाल से प्रदूषण भी कम होता है।”
चीनी सामान को कहा ‘ना’, स्वदेशी पर जताया भरोसा
इस बार के दीपोत्सव में लोगों ने विदेशी, खासकर चीनी सामान को पूरी तरह नकार दिया। ग्राहकों का कहना था कि इस बार की दिवाली ‘मेड इन इंडिया’ होगी।
रीवा की गृहिणी अर्चना मिश्रा ने कहा, “चीनी सामान की जगह अब हम देशी उत्पाद खरीद रहे हैं। यह न केवल देशहित में है बल्कि हमारे स्थानीय कारीगरों की मेहनत का सम्मान भी है।”
छोटे व्यापारियों के चेहरों पर लौटी मुस्कान
कोविड काल के बाद पहली बार छोटे व्यापारी इतनी तादाद में ग्राहकों को देखकर खुश नजर आए। बाजार में लगी कतारें इस बात का प्रमाण थीं कि लोग अब स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
स्थानीय विक्रेता राजेश विश्वकर्मा ने कहा, “लोकल फॉर वोकल ने हमें नई उम्मीद दी है। पहले लोग बाहर से आए सामान खरीदते थे, अब हमारे देसी उत्पाद ही उनकी पहली पसंद हैं।”
local for vocal बना जनआंदोलन
पद्मधर पार्क का यह स्वदेशी बाजार अब सिर्फ एक मेला नहीं, बल्कि देशभक्ति की मिसाल बन गया है। यहां दिखी सजावट, ग्राहकों का उत्साह और दुकानदारों का आत्मविश्वास सब कुछ आत्मनिर्भर भारत की भावना को जीवंत कर रहा है।
रीवा में इस आयोजन ने यह संदेश दिया है कि जब हर नागरिक स्वदेशी को अपनाएगा, तभी भारत सचमुच आत्मनिर्भर बनेगा।
दीपावली के इस उजाले में “लोकल फॉर वोकल” का दीप अब हर घर में जल चुका है।







