हनुमानगढ़ स्कूल में नियमों की खुलेआम धज्जियां, कनिष्ठ को थमाया प्रभार—प्रशासनिक मिलीभगत और अनैतिक लाभ के गंभीर आरोप

खबर विंध्य की आवाज सीधी
सीधी जिले में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। शासकीय चंद्र प्रताप तिवारी स्मृति हायर सेकेंडरी स्कूल, हनुमानगढ़ में प्रभारी प्राचार्य की नियुक्ति को लेकर ऐसा प्रशासनिक खेल खेला गया, जिसने न सिर्फ शासन के नियमों बल्कि माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के निर्देशों को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
मामला उच्च न्यायालय तक पहुंचा था, जहां कोर्ट ने स्पष्ट रूप से निर्देश दिए थे कि कलेक्टर सीधी, जिला शिक्षा अधिकारी और मौजूदा प्रभारी प्राचार्य संयुक्त रूप से बैठकर विधि अनुसार पात्र व्यक्ति को प्रभारी प्राचार्य नियुक्त करें। लेकिन आरोप है कि डीईओ ने कोर्ट की मंशा और आदेश—दोनों को दरकिनार करते हुए किसी भी प्रकार का विमर्श किए बिना एकतरफा आदेश जारी कर दिया।

आरोपों के मुताबिक, वरिष्ठ और विधिसम्मत पात्र अनुसूचित जाति शिक्षक डॉ. शक्ति कुमार साकेत को नजरअंदाज कर उनसे कनिष्ठ शिक्षक श्री पोषणेश मिश्रा को प्रभारी प्राचार्य बना दिया गया। यह फैसला न केवल वरिष्ठता और पात्रता के सिद्धांतों का उल्लंघन माना जा रहा है, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना पर भी करारा प्रहार बताया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि यह पूरा मामला कथित अनैतिक लाभ, पक्षपात और प्रशासनिक मनमानी प्रशासनिक नियमों को दरकिनार करते हुए किया गया है । जानकारों के अनुसार, डीईओ का यह कृत्य शासन के आदेशों की अवहेलना के साथ-साथ न्यायालय के निर्देशों की खुली अवमानना की श्रेणी में आता है, जो आपराधिक और दंडनीय माना जा सकता है।
पीड़ित पक्ष ने इस गंभीर अनियमितता के खिलाफ 02 दिसंबर 2025 और 16 दिसंबर 2025 को कलेक्टर सीधी के समक्ष जनसुनवाई में लिखित शिकायतें प्रस्तुत कीं। बावजूद इसके, प्रशासन की चुप्पी हैरान करने वाली है—अब तक न कोई जांच, न कोई निर्णय, और न ही कोई ठोस कार्रवाई सामने आई है।
यह मामला अब सिर्फ एक नियुक्ति का नहीं रह गया है, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही, सामाजिक न्याय और कानून के सम्मान का बड़ा सवाल बन गया है। देखना होगा कि जिला प्रशासन और शासन इस कथित मनमानी पर कब और क्या कार्रवाई करता है, या फिर नियम-कानून कागज़ों तक ही सीमित रह जाएंगे






