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Mp news:बेटी को थप्पड़ से गिराया, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा: कस्तूरबा छात्रावास की वार्डन हटाई गई

Mp news : “बेटी को थप्पड़ से गिराया, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा: कस्तूरबा छात्रावास की वार्डन हटाई गई, लेकिन अब भी सजा से बच रहीं जिम्मेदार अधिकारी” Mp news : सीधी जिले के ...

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Mp news : “बेटी को थप्पड़ से गिराया, जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ा: कस्तूरबा छात्रावास की वार्डन हटाई गई, लेकिन अब भी सजा से बच रहीं जिम्मेदार अधिकारी”

Mp news : सीधी जिले के अमिलिया स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका छात्रावास में छात्रा अंजू प्रजापति के साथ हुई मारपीट मामले ने शुक्रवार को एक नया मोड़ ले लिया है। गुरुवार को वार्डन उर्मिला पटेल ने अपने दो वर्षीय बेटे के रोने पर छात्रा अंजू को बर्बरता से पीट दिया था, जिससे वह मौके पर ही बेहोश हो गई थी। यह घटना न सिर्फ छात्रावास की बदहाल व्यवस्थाओं को उजागर करती है, बल्कि प्रशासन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करती है।

शुक्रवार को दोपहर 2 बजे जिला शिक्षा अधिकारी पवन सिंह, थाना प्रभारी राकेश बैस और प्रशासनिक टीम छात्रावास पहुंची। वहां पहुंचते ही छात्रों से बातचीत के नाम पर महज औपचारिकता निभाई गई। कोरे कागज़ों पर छात्राओं से नाम, पता और हस्ताक्षर करवाकर जांच पूरी कर ली गई। कई छात्राओं ने बताया कि वार्डन का व्यवहार पहले से ही अपमानजनक और हिंसक रहा है, लेकिन शिकायतों को हमेशा अनदेखा किया गया।

Mp news : घटना से जुड़े वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिनमें छात्राएं स्पष्ट रूप से वार्डन की मारपीट की पुष्टि कर रही हैं। तहसीलदार सिहावल परम सुख बंसल ने भी गुरुवार को पंचनामा तैयार कर मारपीट की पुष्टि की थी, बावजूद इसके अब तक कोई ठोस दंडात्मक कार्यवाही नहीं की गई है।

थाना प्रभारी राकेश बैस का कहना है कि “हमें कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ है, हम वायरल वीडियो के आधार पर कार्रवाई नहीं कर सकते।” जबकि शिक्षा अधिकारी पवन सिंह ने सिर्फ इतना कहा कि वार्डन को छात्रावास से हटाकर अन्यत्र पदस्थ किया जा रहा है, लेकिन जब दंडात्मक कार्रवाई पर सवाल पूछा गया तो वे जवाब देने से बचते नजर आए।

छात्रा अंजू प्रजापति ने स्पष्ट कहा, “मैंने वार्डन के बच्चे को सिर्फ गोद में लिया था, उन्होंने गुस्से में आकर मुझे मारा। मुझे न्याय चाहिए।”

इस पूरी घटना में गंभीर सवाल यह है कि जब जांच की वीडियो पुष्टि, तहसीलदार की रिपोर्ट और छात्राओं की गवाही मौजूद है, तब भी आखिर दोषी को बचाने की कोशिश क्यों हो रही है? क्या एक छात्रा की गरिमा से बड़ा कोई पद या अधिकारी हो सकता है?

प्रशासन को अब यह तय करना होगा कि वह बेटियों के पक्ष में खड़ा है या गलती करने वालों के बचाव में।