हिंदी दिवस: कविताओं में झलकती है हमारी पहचान
हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस पूरे देश में विशेष उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ एक औपचारिक अवसर नहीं बल्कि अपनी भाषा की जड़ों से जुड़ने और साहित्य की ताकत को याद करने का मौका है। माना जाता है कि किसी भी भाषा की आत्मा उसके साहित्य में बसती है और हिंदी की आत्मा उसकी कविताओं में गहराई से महसूस की जा सकती है।
Hindi diwas:- भारत की धरती ने अनेक ऐसे कवि और साहित्यकार दिए, जिन्होंने अपने शब्दों से जन-जन के दिल को छुआ। रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियां “सिंहासन खाली करो कि जनता आती है” आज भी समाज में चेतना जगाती हैं। वहीं, हरिवंश राय बच्चन की “अग्निपथ” कठिनाइयों के बीच संघर्ष का प्रतीक है।
Hindi diwas:- महादेवी वर्मा ने संवेदनाओं को इतनी कोमलता से व्यक्त किया कि उनकी कविताएं आज भी दिल को छू जाती हैं। सोहनलाल द्विवेदी की “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” प्रेरणा का ऐसा स्रोत है, जिसने पीढ़ियों को हार न मानने का संदेश दिया। माखनलाल चतुर्वेदी की “पुष्प की अभिलाषा” मातृभूमि के प्रति समर्पण का अद्वितीय उदाहरण है।
दुष्यंत कुमार और गोपालदास नीरज जैसे कवियों ने आम आदमी की पीड़ा, उम्मीद और सवालों को कविताओं में ढालकर हिंदी साहित्य को नई धार दी।
हिंदी दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी भाषा केवल संवाद का साधन नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, संघर्ष और सपनों की अभिव्यक्ति है। कविताएं केवल शब्द नहीं, बल्कि समाज का आईना हैं, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन छोड़ जाती हैं।