Sidhi news : “सरकारी लापरवाही से जूझी गर्भवती, आधे जन्मे बच्चे को लेकर भटके परिजन — डॉक्टरों ने झांका तक नहीं, 70 हजार में हुई डिलीवरी”
Sidhi news : सीधी जिले के ग्राम मझिगवा निवासी सरोज गुप्ता पति रजनीश गुप्ता के साथ एक बेहद दर्दनाक और शर्मनाक वाकया पेश आया। शनिवार की रात करीब 12 बजे जब सरोज को तेज लेबर पेन शुरू हुआ तो परिजन उन्हें तत्काल मड़वास अस्पताल लेकर पहुंचे। लेकिन वहां की स्थिति ऐसी थी कि आधा बच्चा गर्भ से बाहर निकल चुका था और आधा फंसा हुआ था। गंभीर हालात को देखते हुए उन्हें जिला अस्पताल सीधी रेफर कर दिया गया।
सीधी जिला अस्पताल पहुंचने पर उम्मीद थी कि सरकारी डॉक्टर और नर्स तुरंत इलाज करेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। पीड़िता के पति रजनीश गुप्ता ने बताया कि वहां मौजूद स्टाफ ने न तो महिला की हालत को ठीक से देखा और न ही कोई इलाज शुरू किया। बल्कि उन्हें यह कहकर सीधा एक निजी अस्पताल “श्री नर्सिंग होम” भेज दिया गया कि अगर प्राइवेट में नहीं ले जाओगे तो जच्चा-बच्चा दोनों की जान खतरे में पड़ सकती है।
Sidhi news : बेबस परिजन आखिरकार महिला को मिश्रण नर्सिंग होम ले गए जहां डिलीवरी तो हुई, लेकिन उसका खर्च करीब ₹70,000 तक पहुंच गया। इस भारी भरकम खर्च और सरकारी अस्पताल की लापरवाही से आहत परिजनों ने मामले की शिकायत मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) सीधी से की है।
जब इस पूरे मामले में सीएमएचओ डॉ. बबीता खरे से बात की गई तो उन्होंने कहा, “मुझे अभी इस मामले की जानकारी नहीं है। अगर बच्चा क्रिटिकल कंडीशन में होता है तो हम उसे संजय गांधी अस्पताल रीवा रेफर करते हैं। लेकिन कई लोग खुद ही प्राइवेट अस्पताल चले जाते हैं। यदि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर या नर्स ने सरकारी इलाज छोड़कर निजी अस्पताल भेजने की सलाह दी है तो यह गंभीर मामला है। पीड़ित द्वारा शिकायत करने पर जांच कर कार्रवाई की जाएगी।”
यह मामला फिर एक बार जिला अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा करता है कि जब जनता को इमरजेंसी में भी इलाज नहीं मिलेगा, तो सरकारी अस्पतालों का अस्तित्व ही किस काम का?