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Sidhi news:सरकारी लैब तकनीशियन निजी पैथोलॉजी के लिए मरीजों से जबरन वसूली कर रहे

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के नाम पर मच रही लूट Sidhi news : सरकारी लैब तकनीशियन निजी पैथोलॉजी के लिए मरीजों से जबरन वसूली कर रहे! चुरहट (सीधी), मध्यप्रदेश | विशेष संवाददाता ...

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सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच के नाम पर मच रही लूट

Sidhi news : सरकारी लैब तकनीशियन निजी पैथोलॉजी के लिए मरीजों से जबरन वसूली कर रहे!

चुरहट (सीधी), मध्यप्रदेश | विशेष संवाददाता

Sidhi news : चुरहट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरीजों के साथ खुल्लम-खुल्ला धोखा हो रहा है। स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ सरकारी लैब तकनीशियन मरीजों को जानबूझकर जांच के लिए निजी लैब में भेज रहे हैं और वहां से मोटी कमाई कर रहे हैं। यह खुलासा तब हुआ जब कई मरीजों और उनके परिजनों ने शिकायत करते हुए बताया कि सरकारी सुविधा होते हुए भी उन्हें निजी जांच केंद्र भेजा गया और मोटी रकम ली गई।

कैसे चल रहा है यह खेल?

स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत दो प्रमुख लैब तकनीशियन — भूपेंद्र सिंह चौहान और राकेश प्रजापति, मरीजों को सरकारी केंद्र में जांच न करवाने की सलाह देते हैं। इसके बजाय वे पास ही स्थित “चौहान पैथोलॉजी” में जांच करवाने के लिए कहते हैं, जो कि भूपेंद्र सिंह की ही निजी लैब है।

यह निजी लैब सरकारी अस्पताल से महज 100-150 मीटर की दूरी पर है। मरीजों को यह कहकर भ्रमित किया जाता है कि सरकारी लैब में जांच सही नहीं होती, इसलिए बाहर करवाएं। मजबूरी में मरीज पैसे खर्च कर वहां जांच कराते हैं।

Sidhi news : नियमों की सरेआम उड़ाई जा रही धज्जियां

स्वास्थ्य विभाग के स्पष्ट नियम हैं कि कोई भी सरकारी कर्मचारी निजी प्रैक्टिस या व्यवसाय नहीं कर सकता, खासकर जब वह नियमित सेवा में हो। लेकिन यहां तो सरकारी नौकरी करते हुए सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

तकनीशियन सरकारी हैं

पैथोलॉजी निजी है

मरीज सरकारी केंद्र से भेजे जा रहे हैं

शुल्क निजी केंद्र में वसूला जा रहा है

मरीजों का दर्द – “हम गरीब हैं, लेकिन जबरन लूटा जा रहा है”

एक बुजुर्ग महिला मरीज ने बताया कि उन्हें खून की जांच के लिए कहा गया, लेकिन सरकारी लैब में जांच नहीं की गई। कहा गया कि बाहर जांच कराएं नहीं तो इलाज नहीं होगा। उनके बेटे ने ₹300 देकर जांच कराई।

ऐसे ही एक अन्य ग्रामीण युवक ने कहा, “सरकारी अस्पताल में इलाज कराने आए थे, लेकिन यहां भी पैसे देने पड़ रहे हैं। यह तो गरीबों के साथ धोखा है।”

प्रशासन क्या कर रहा है?

अब तक इस पूरे मामले में कोई स्पष्ट जांच या कार्रवाई नहीं की गई है। जिला चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

हालांकि, सूत्रों के अनुसार, शिकायतें मिलने के बाद विभागीय स्तर पर चर्चा चल रही है और जल्द ही जांच दल गठित किया जा सकता है।

क्या होनी चाहिए कार्रवाई?

1. तत्काल निलंबन: दोनों तकनीशियनों को जांच पूरी होने तक निलंबित किया जाना चाहिए।

2. निजी लैब सील: जिस पैथोलॉजी को संचालित किया जा रहा है, उसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जाए।

3. जांच कमेटी: स्वतंत्र टीम द्वारा पारदर्शी जांच सुनिश्चित की जाए।

4. सूचना बोर्ड अनिवार्य: अस्पतालों में ‘नि:शुल्क जांच उपलब्ध’ जैसे सूचना बोर्ड लगाए जाएं।

5. जनता की भागीदारी: मरीजों को हेल्पलाइन नंबर और शिकायत पेटी जैसी व्यवस्था दी जाए।

निष्कर्ष

गरीब और ग्रामीण जनता की सेवा के लिए स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगर निजी कमाई का अड्डा बन जाए तो यह सिर्फ नैतिक पतन नहीं, बल्कि कानूनी अपराध भी है। शासन को तुरंत संज्ञान लेकर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि सरकारी सेवाओं में विश्वास बहाल रह सके।