गिद्ध (Vulture): प्रकृति का सफाईकर्मी और आसमान का बादशाह
Vulture एक अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली पक्षी है, जिसे प्रकृति का सफाईकर्मी (Nature’s Cleaner) भी कहा जाता है। यह न केवल पृथ्वी का सबसे ऊँचा उड़ने वाला पक्षी है, बल्कि पर्यावरण में स्वच्छता और संतुलन बनाए रखने में भी एक बड़ी भूमिका निभाता है।
उड़ान क्षमता और ऊँचाई
गिद्ध दुनिया का सबसे ऊँचा उड़ने वाला पक्षी माना जाता है। ‘रुपेल का गिद्ध’ (Rüppell’s Griffon Vulture) ने 11,300 मीटर यानी लगभग 37,000 फीट (करीब 12 किलोमीटर) की ऊँचाई तक उड़ान भरी थी, जो एवरेस्ट पर्वत से भी अधिक है।
इसके लंबे और चौड़े पंख (2.5 से 3 मीटर तक का फैलाव) इसे गर्म हवा की लहरों (thermal currents) का उपयोग कर बिना पंख फड़फड़ाए लंबे समय तक ऊँचाई पर उड़ने में मदद करते हैं। यही वजह है कि गिद्ध घंटों तक आसमान में मंडराता रहता है।
दृष्टि और देखने की क्षमता
गिद्ध की आँखें अत्यंत तेज होती हैं। वह मनुष्य की तुलना में लगभग आठ गुना बेहतर देख सकता है और चार मील (करीब 6.4 किलोमीटर) दूर से भी शव को पहचान सकता है। यह असाधारण दृष्टि उसे आसमान से मृत जानवरों (carcasses) को पहचानने और भोजन ढूँढने में मदद करती है।
शरीर और पंखों की बनावट
गिद्ध का औसत वजन 7 से 12 किलोग्राम तक होता है और इसकी लंबाई लगभग एक मीटर तक होती है। इसके पंखों का फैलाव 2.5 से 3 मीटर तक होता है, जिससे यह बिना ज्यादा ऊर्जा खर्च किए लंबी दूरी तक उड़ सकता है।
इसका सिर गंजा और बिना पंखों वाला होता है ताकि शव खाते समय उस पर बैक्टीरिया या संक्रमण (infection) न लगे। यह उसकी प्राकृतिक सुरक्षा प्रणाली (natural adaptation) का हिस्सा है।
उम्र और जीवनकाल
गिद्ध का जीवनकाल उसकी प्रजाति पर निर्भर करता है। औसतन यह 23 से 33 वर्ष तक जीवित रहता है। भारतीय गिद्ध (Indian Vulture या Gyps indicus) लगभग 40 से 45 वर्ष तक जी सकता है और पाँच वर्ष की आयु में प्रजनन योग्य हो जाता है। कुछ अन्य प्रजातियाँ जैसे किंग वल्चर (King Vulture) लगभग 30 वर्ष तक और ब्लैक वल्चर (Black Vulture) 10 वर्ष तक जीवित रहती हैं।
पारिस्थितिक महत्व
गिद्ध पारिस्थितिकी तंत्र के स्वाभाविक सफाईकर्मी (natural scavengers) हैं। वे मृत जानवरों के शवों को खाकर सड़न से फैलने वाले बैक्टीरिया और विषाणुओं को खत्म करते हैं, जिससे रैबीज़, एंथ्रेक्स और कॉलरा जैसी बीमारियों का प्रसार रुकता है।
एक गिद्धों का झुंड मात्र 30 से 40 मिनट में किसी शव को पूरी तरह साफ कर सकता है। इस कारण से इन्हें प्रकृति का ‘Silent Protector’ भी कहा जाता है।
व्यवहार और प्रजनन
गिद्ध आमतौर पर झुंडों में रहते हैं और आसमान में गोलाई में उड़ते हुए भोजन की तलाश करते हैं। मादा वर्ष में एक या दो अंडे देती है और ऊँचे पेड़ों या चट्टानों पर घोंसले बनाती है। प्रजनन के समय ये अपने पंख फैलाकर और विशेष उड़ान प्रदर्शन कर साथी को आकर्षित करते हैं।
निष्कर्ष
गिद्ध केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि पारिस्थितिक संतुलन का अभिन्न हिस्सा हैं। उनकी तेज दृष्टि, ऊँची उड़ान क्षमता और सफाई की प्रवृत्ति उन्हें प्रकृति का सच्चा रक्षक बनाती है।
यह कहना गलत नहीं होगा कि अगर गिद्ध न हों, तो जंगल और गाँव दोनों जगह बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ सकता है।
इसलिए गिद्धों का संरक्षण (Vulture Conservation) न सिर्फ वन्य जीवन, बल्कि मानव जीवन के लिए भी उतना ही आवश्यक है।







