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वायरल वीडियो विवाद: मंत्री राधा सिंह के कथन को संदर्भ से काटकर फैलाया गया भ्रम

वायरल वीडियो विवाद: मंत्री राधा सिंह के कथन को संदर्भ से काटकर फैलाया गया भ्रम मध्य प्रदेश की मंत्री राधा सिंह का एक वीडियो बीते कुछ समय से सोशल मीडिया पर तेज़ी से ...

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वायरल वीडियो विवाद: मंत्री राधा सिंह के कथन को संदर्भ से काटकर फैलाया गया भ्रम

मध्य प्रदेश की मंत्री राधा सिंह का एक वीडियो बीते कुछ समय से सोशल मीडिया पर तेज़ी से साझा किया जा रहा है। क्लिप में वह बघेली बोली में “कचरने” और “मारने” जैसे शब्द बोलती नज़र आती हैं। कई सोशल मीडिया पेजों और कुछ डिजिटल हैंडल्स ने इसे इस तरह प्रस्तुत किया है मानो उन्होंने किसी सामान्य व्यक्ति को धमकी दी हो। लेकिन जांच करने पर यह स्पष्ट होता है कि दावा तथ्यों से काफी दूर है।

यह वीडियो उस समय का है जब मंत्री राधा सिंह अपने निवास से सामुदायिक भवन की ओर जा रही थीं। बाहर निकलते समय उनका बेटा जिद करने लगा कि वह भी गाड़ी में बैठे। बच्चे की इस जिद पर उन्होंने  हुए बघेली अंदाज़ में कहा— “ज्यादा करोगे तो कचर दूंगी।” हमारे क्षेत्र की बोलचाल में इसका अर्थ है — “बहुत करोगे तो मारूंगी।” यह वाक्य आमतौर पर माता-पिता अपने बच्चों को थोड़ा डराने या समझाने के अंदाज़ में कहते हैं, जिसका वास्तविक उद्देश्य सिर्फ़ बच्चे को शांत कराना होता है, न कि धमकी देना।

स्थानीय निवासियों और भाषा समझने वालों ने भी साफ़ किया है कि यह सामान्य घरेलू बातचीत का हिस्सा था। मगर सोशल मीडिया पर बिना संदर्भ के वीडियो का छोटा हिस्सा फैलाया गया, जिससे पूरी बात का अर्थ बदल गया और इसे गलत तरीके से राजनीतिक रूप दिया गया।

 

डिजिटल दौर में बिना तथ्य-जांच के वीडियो एडिट कर वायरल करने की प्रवृत्ति अब सामान्य होती जा रही है। इसका नुकसान यह है कि किसी व्यक्ति के निजी पलों या रोजमर्रा की बातचीत को मनचाही व्याख्या के साथ पेश कर दिया जाता है, जिससे उनकी छवि पर अनावश्यक आघात पहुँचता है।

 

राधा सिंह अपने सहज स्वभाव, सरल बातचीत और जनसंपर्क के लिए जानी जाती हैं। क्षेत्र के लोग उन्हें हमेशा हँसमुख और अपनापन रखने वाली नेता के रूप में देखते हैं। ऐसे में, उनके अपने बच्चे से कही गई एक सामान्य बात को विवाद का रूप देना स्थानीय लोगों के अनुसार निराधार और भ्रामक है।

यह घटना सोशल मीडिया की उस खामी को फिर से उजागर करती है, जहाँ अधूरी जानकारी पर आधारित पोस्ट न सिर्फ़ गलतफहमियाँ पैदा करती हैं, बल्कि किसी की वर्षों की बनी छवि को भी क्षति पहुँचा सकती हैं।